एक तेरी मोहब्बत ने बनाया हैं खुदा मुझको,मैं रोज खल्क करता हूँ नया संसार ग़ज़ल में..
Wednesday, January 12, 2011
चोर शीशे [कुछ नन्ही नज़्में]
ये शीशे चोर हैं सारे !
ये सारी नाजुकी जो इनकी
परतों ने समेटी है
तुम्हारे लम्स से ली हैं ... !
तुम्हारे सादा दिल सा
इन्होने अपना भेष डाला है ..!
वो जो तहज़ीब है इनको
"जो जैसा है दिखा देना "
तेरी नज़रों से सीखा है..
जो तुम न होते
तो आइनों का क्या होता !
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जिंदगी की व्हिस्की
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मेरी आँखों में
डालो न ,
तुम अपने ख्वाब
का टुकडा ...
कि जिंदगी
फिर छलक जाए मुझ से ...
पैमाने में रखी
व्हिस्की की तरह
जब उसमे बर्फ डलती हैं ...।
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हामिला उम्मीद
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जल्द ही नज़्म एक पैदा होगी
जल्द ही अफ़साना किलकेगा
दिल के आँगन में…
तेरे विसाल की उम्मीद
हामिला सी नज़र आती है।
हामिला* -- गर्भवती (Pregnant)
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18 comments:
तुम न होते तो आईने महज आईने होते।
पैमाने छलकें तो छलकने दो, ख्वाबों को बसाओ आँखों में।
लंबे अवकाश के बाद स्वागत है, रवि।
hamila ka matlab bata dijiye plzz ..:)
baaki najme behad masoom hain ravi ji ..bahut khoob :)
एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.
वो जो तहज़ीब है इनको
"जो जैसा है दिखा देना "
तेरी नज़रों से सीखा है..
जो तुम न होते
तो आइनों का क्या होता !
वाह !! बेहद ख़ूबसूरत हैं ये नन्ही नज़्में...
मेरी आँखों में
डालो न ,
तुम अपने ख्वाब
का टुकडा ...
कि जिंदगी
फिर छलक जाए मुझ से .
बहुत भावपूर्ण नज्में..
वो जो तहज़ीब है इनको
"जो जैसा है दिखा देना "
तेरी नज़रों से सीखा है..... वाह वाह !! बहुत खूब
कि जिंदगी
फिर छलक जाए मुझ से ...बेहतरीन ...
तेरे विसाल की उम्मीद
हामिला सी नज़र आती है।..उम्दा ....
तीनों नज्में कमाल की लिखीं हैं रवि जी ....
hmmmmm...whisky huh.... ;)
good job buddy, tum hi kar sakte the ye, teenon hi bohot badhiya lagi....bohot khoob
जिंदगी की व्हिस्की में सबसे ज्यादा नशा है :) बहुत ही बढ़िया क्षणिकाएं हैं रवि !.
hmmmm...
back with the bang.....
awesome..
bahut hi behtareen....
रविशंकर जी! वादा रहा कल आऊँगा टिप्पणी देने, अभी तो बस एंजॉय करने दो!! क़तरा क़तरा नज़्म को उतरने दो!!
क्या साब!
अब पता चला इतने दिनों कहाँ थे।
पहली और तीसरी तो आपकी मेहरबानी से पहले भी पढने को मिली हुई है आज दूसरी भी मिल गई।
तेरे विसाल की उम्मीद
हामिला सी नज़र आती है।
कुछ शब्द उधार दे दीजिये इनके लिए, तो मैं भी कोई टिप्पणी कर दूँ। मुझे से खुद तो हो चुकी कोई टिप्पणी इन पर।
एक शिकायत करूँ?
जरा रेगुलर रहिये :)
"आप सभी को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
किस बात का गुनाहगार हूँ मैं....संजय भास्कर
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
धन्यवाद
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/01/blog-post_12.html
चोर शीशे!!!
चचा गुलज़ार तो कहते हैं कि नैनों की मत मानियो रे, नैनों की मत सुनियो रे, नैना ठग लेंगे!!
ज़िंदगी की व्हिस्की!
ख़्वाब की बर्फ पिघलती है तो घुल जाती है
ज़िंदगी में जो घुले ख़्वाब तो होता है नशा.
हामिला उम्मीद!
विसाल की उम्मीद जब हामिला हो तो नज़्म की पैदाइश और अगर ख़याले हिज्र हामिला हो तो... जातक कथाएँ!
.
कहा था लौट के आऊँगा, सो आया! बधाई हर एक नज़्म के लिये, जितनी छोटी, उतनी प्यारी..
@ संजय सर…
जी…… अवकाश तो लम्बा हो गया था पर बड़ा व्यस्त किस्म का अवकाश था… :)
@ वन्दना जी…
शुक्रिया आपका ! हामिला का मतलब लिख दिया है पोस्ट पर… आते रहियेगा।
@ भास्कर जी…
बहुत आभार बन्धु। हौसला देते रहियेगा।
@ ॠचा जी…
बहुत आभार आपका।
@ कैलाश जी…
आप तक पहुँचे भाव, नज़्में सार्थक हुईं। धन्यवाद।
@ क्षितिजा जी…
आपका आना कलम को प्रफ़ुल्लित करता है। आते रहियेगा। :)
@ साँझू……
तुम्हे शुक्रिया तो कह ही नहीं सकता…… बस :) है तेरे लिये।
@ शिखा दी…
सत्य वचन ! :)
@ शेखर जी…
बहुत धन्यवाद बन्धु।
@ आर्य-प्रवर (अवि…)
क्यों लज्जित करते हैं देव… कुबेर का कोश भला रिक्त हो सकता है। और जहाँ तक शिकायत की बात है तो कोशिश जरूर रहेगी कि आपको अगली शिकायत का मौका नहीं मिले।
@ सलिल सर…
मेरी दोस्त आपको दद्दू कहती है सो दद्दू आप मेरे भी हुए तो सबसे पहले मुझे सम्बोधित करने के बाद "जी" ना लगाया कीजिये। और आपका स्नेह तो अब मेरा अधिकार है…इसलिये कोइ थैंक्स-गिविंग प्रोग्राम नहीं आपके लिये… बस नमन ! :)
आपके कॉमेंट ने हमें यहाँ तक पहुचेया ....काफ़ी कुछ पढ़ा आपको.....बहुत बढ़ियाँ लिखते हैं आप... तारीफ करूँ और किसे छोड़ दूँ... इसी उधेड़बुन में फिलहाल तो इतना
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