कितनी बातों के लगे हैं, जाने कितने मायने
जितने सर हैं,उतनी सोचें,सबके उतने मायने॥
हमने तो बातें कही थीं,इक फकत मकसद के साथ
अपने मकसद से जा निकले, अपने अपने मायने ॥
अपने अपने आइनों में सब दिखें हैं पाक साफ़ ..
अपनी ही करतूत हैं, ये सारे फितने मायने ॥
हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
13 comments:
हमने तो बातें कही थीं,इक फकत मकसद के साथ
अपने मकसद से जा निकले, अपने अपने मायने ॥
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
if you could not understand my silence, how could you have understood my words?
"हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥"
बहुत खूबसूरत लिखा है रवि।
जिनके परों में सच्चाई की जान होगी, उनके सपने ही मायने रखेंगे, निश्चिंत रहो।
हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥
waah ravi ji ... har sher kamaal ka likha hai ... bahut khoob :)
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
ahhaaa...!! killer yaara, kya sher maara hai...hihi
badhiya ghazal hai buds, aur ravaayati ghazlon se kitni hatkar hai, kya khoob khayaal laaye ho, awesome :):)
bahut hi khoob..
Please visit my blog.
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आपकी हर शायरी, हर नज़्म और हर इक ग़ज़ल
छू गई दिल को, है बदला ज़िंदगी का मायने.
रविशंकर जी! अगर ये शेर मेरे मेरे जज़्बात की तर्जुमानी कर रहा है, तो शायद मेरे लिये, और कुछ भी कहना फिज़ूल होगा इस ग़ज़ल के लिये!!
gazal ke saare sher
dil ko chhoo lene wale hain...
w a a h !!
हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥
बहुत ही गंभीर मायने हैं इस पंक्ति के...
सारे शेर लाज़बाब हैं
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
chalo dekhte hain baazi kiski hoti hai safal
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
कुछ अलग से बिम्ब लिए हुए ....
अच्छा लगा ये शे'र ......
ख्वाब बहुवचन भी है और एक वचन भी ....
सभी स्नेह देने वालों का बहुत आभार ! पुन: पुन: आते रहियेगा अपना स्नेह लुटाने।
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !
वाह बहुत खूब लिखा है आपने!
. लाजवाब .
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