जी हाँ ...
मैं शब्द बेचता हूँ साहब... !
चौबीसों घंटे
खुली रहती है मेरी दूकान ...
जब मन चाहे आइये ..
और अपने काम के शब्द
ले जाइए.. !
जैसी जरूरत
वैसे ही रेट हैं..
और कुछ सौदे
छूट समेत हैं..!
नेताओं का
विशेष स्वागत है !
बस अगले महीने
चुनाव की आहट है !
गुणगान, स्तुति
या फिर तालियाँ ...
या विरोधियों को देनी हों
ब्रांडेड गालियाँ...
नहीं,घबराइए नहीं !
ये काम नहीं
कानून के विरुद्ध है ..
क्योंकि यहाँ मिलावट भी
सौ फीसदी शुद्ध है ..
पत्रकारों को यहाँ
मिलती बड़ी छूट है
दस सच्ची खबरों पर फ्री
सौ सफ़ेद झूठ है ...
ब्रेकिंग
और एक्सक्लूसिव खबरें
यहाँ उपलब्ध हैं
कई वेरायटी में…
और TRP की गारंटी है
आज की सोसाइटी में ।
चलिए आप के लिए ,
सिर्फ आपके लिए
एक दाम लगा दूंगा
थोक ग्राहक से
कोई फायदा क्या लूँगा ...
बस इन्ही शब्दों के
हेर-फेर से
चलती अपनी दूकान है
और यकीन जानिये
समाज में अपना
बहुत सम्मान है ...
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
15 comments:
सही कहा है रवि आपने, इस युग में सरस्वती-पुत्र से लक्ष्मी-पुत्र की मान्यता अधिक है, ’सर्वे गुणा कंचनमाश्रयन्ति’।
बहुत बढ़िया कटाक्ष ..
भवानी दादा ने गीत बेचने की रेहड़ी लगाई थी और आप शब्द बेचने लगे!! बुरा नहीं, सच है... कई लोग तो इस काम पर बरसों से लगे हैं! आपको बहुत देर से ख़याल आया!!
पर हम इस ख़याल के भी आशिक़ हुए!!
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
ravi ji kya kahoon is rachna ke baare mein .... lajawaab ...
क्या सच्चाई को बखूबी उकेरा है आपने. उत्तम व्यंग्य!
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
बहुत सटीक व्यंग आज की व्यवस्था पर..बहुत सुन्दर
bahut hi satik chitran
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
गजब कर दिया जनाब.....
आपकी सारी रचनाएँ पढ़ीं....
काफी खूबसूरती से लिखी गयीं हैं सब की सब !!!
जिस तरह आपने शब्द बेचे हैं
उसी तरह भावनाएं और प्यार.....
खरीदारों की लाइन लग जाएगी....
सारी नज़्म,गीत और ग़ज़लें सब खूबसूरत है !!
शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
करारा व्यंग्य्।
उम्दा व्यंग .... सच में शब्दों का बाज़ार भी कमाल है....
क्या बात है!!!, सरस्वती-पुत्र से लक्ष्मी-पुत्र की मान्यता अधिक है! सीधे ज़िगर को चीर दे पर ऐसा ज़िगर कहां!!!!खूबसूरत व्यँग्य……बधाई।
नहीं,घबराइए नहीं !
ये काम नहीं
कानून के विरुद्ध है ..
क्योंकि यहाँ मिलावट भी
सौ फीसदी शुद्ध है ..
:-) badiya!!!
बढ़िया ...मजेदार ...अच्छा लगा
अति सुंदर
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