Sunday, January 30, 2011

जुड़वां मुन्तजिर आँखें…

ज़िन्दगी की सड़क पर
ख्वाबों ने, रफ़्तार जो पकड़ी
न जाने हमकदम कितने
मैं पीछे छोड़ आया हूँ

किसी से उम्र का रिश्ता
किसी से सांस का बंधन
किसी से जन्मों की कसमें
मैं सबको तोड़ आया हूँ

न जाने कितने लम्हों ने
मुझे आवाज़ दे रोका ...
कि शायद वक़्त से भी अब
मैं चेहरा मोड़ आया हूँ

मगर फिर भी न जाने क्यों
ये वापिस लौटते से हैं
कि जैसे डोर उल्फत की
कोई क़दमों में डाले है ..

वहीँ दरवाजे पर टिक कर
वो जुड़वां मुन्तजिर आँखें
अज़ल से मेरे आने का
सुनहरा ख्वाब पाले हैं .

20 comments:

Vandana Singh said...

wooww ! bahut khoobsoorat Ravi ji :)

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

Bahut sundar ,khubsurat nazm.

Dr Xitija Singh said...

wo muntazir aankhein ......

waah ... bahut khoobsurat :)

संजय @ मो सम कौन... said...

जुड़वां मुन्तजिर आँखों का सुनहरा ख्वाब पूरा होगा, जरूर पूरा होगा। खिंचे चले जाना, छोटी मोटी बातों को बड़ी बातें मत बनने देना।
बहुत अच्छा लिखते हो, रवि। अवि, रवि कवि से रश्क होता है:))

Anonymous said...

awwwwww.......its like a song...it resonating in ma head :)

bohot pyaari hai yaara, bilkul teri style mein....lovely :)

Kailash Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति..

shikha varshney said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत रवि !

सोमेश सक्सेना said...

बहुत खूब, पसंद आई आपकी यह रचना। बधाई :)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हर चेहरे में आता है नज़र एक ही चेहरा
लगता है कोई मेरी नज़र बांधे हुए हैं.
इस नज़्म में उर्मिला की व्यथा अंतर को बींध गई!!

शिवा said...

बहुत सुंदर रचना
पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा ,
कभी समय मिले तो //shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें ..
बहुत सुंदर पोस्ट

rashmi ravija said...

न जाने कितने लम्हों ने
मुझे आवाज़ दे रोका ...
कि शायद वक़्त से भी अब
मैं चेहरा मोड़ आया हूँ

ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर....
आप जुडवा मुन्तजिर आँखों में पल रहे सुनहरे ख्वाब को साकार अवश्य करें... आभार

शारदा अरोरा said...

पढ़ कर अजब सुकून मिला है माजी के इन बिखरे पन्नों को ...

Avinash Chandra said...

वहीँ दरवाजे पर टिक कर
वो जुड़वां मुन्तजिर आँखें
अज़ल से मेरे आने का
सुनहरा ख्वाब पाले हैं .

:)
दुआयें क़ुबूल हों सरकार, बहुत ख़ूबसूरत।

mridula pradhan said...

anupam.

Patali-The-Village said...

बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति|धन्यवाद|

डॉ. मोनिका शर्मा said...

भावपूर्ण .....हृदयस्पर्शी.......

Amrita Tanmay said...

.. अच्छा लगा आपको पढ़ना ...बेहतरीन .... लाजवाब . इस खुबसूरत रचना के लिए क्या कहूँ ......?आपको बधाई ....

Ravi Shankar said...

@ वन्दना जी…
@ज्ञान जी…
@क्षितिजा जी…
@हुकुम...
अवि तो बड़े हाई लेवेल की चीज़ है सर जी… वो राकेट साइंस है और हम बाल-विज्ञान। आप तो बस स्नेह देते रहिये :)
@सान्झू…
:)
@कैलाश जी…
@शिखा दी…
@संगीता दी…
@सोमेश जी…
@दाऊ …
एक अलग ही रंग दे दिया आपने रचना को और मान बढा दिया इसका।
@शिवकुमार जी…
@रश्मि जी…
@ हबीब साहब…
@शारदा जी…
@आर्य …
आप तो आशीष दीजिये प्रभु। दुआ अप्रूव होने तो आप ही के पास आयेगी ना ;) :)
@मृदुला जी…
@पाटली जी…
@मोनिका जी…
@अमृता जी…

बहुत बहुत धन्यवाद आप सबको रचना को स्नेह देने के लिये।

jatayu said...

शानदार रचना है !!

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