चाय की पत्ती
जिंदगी ...
वक़्त की आंच पर
उबल रही हैं और
उड़ती जाती हैं ..
भाप होती हुई ..
बेरंग और बेस्वाद सी ..
बस एक चम्मच
वफ़ा का ले आओ
और अपने तसव्वुर का
इक मीठा टुकडा ..
फिर देखो ..
लम्हों की हर घूँट
तमाम उम्र को ..
जिस्मो -जेहन में
ताज़गी सी भर देगी ..
तुम्हारी वफ़ा तो बस चाय की पत्ती सी हैं ।
8 comments:
chai to kuch roz pehle maine bhi parosi thi apne blog pe. par iska zaayka..kuch alag hai. bohot khoob hai.
rock on buddy....
Ufff sir ji!!!!!!!!!
kash ke chai ham bhi pite hote :P
तुम्हारी वफ़ा तो बस चाय की पत्ती सी हैं ।
Wah! kya baat hai....bahut khoob
www.poeticprakash.com
यह सूचना टिप्पणी बटोरने हेतु नही है बस यह जरूरी लगा की आपको ज्ञात हो आपकी किसी पोस्ट का जिक्र यहाँ किया गया है कृपया अवश्य पढ़े आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल
Bahut shukriya sunita ji
वाह बहुत खूब चाय के बिम्बो के माध्यम से जीवन को सुन्दर बनाने की कल्पना ..बहुत सुन्दर भाव....
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