Tuesday, December 14, 2010

ज़िन्दगी क्या है ...

खबर नहीं की खुदी क्या है बेखुदी क्या है *...
सख्त हैरत में हूँ अब और आशिकी क्या है

चमक रही जो जेहन में वो रौशनी क्या है
ये मुझ में आज फिर मुझसे अजनबी क्या है

तमाम लफ़्ज़ों में है दाद शोखियों के तेरे

तेरा जमाल है बस और शायरी क्या है

लज्ज़त--प्यास का तू एहतराम कर तिशनाह
सुबू के सामने टूटे वो तिश्नगी क्या है


उसके पहलु में पड़ा जिस्म मेरा बे-जुम्बिश
गोया ये मौत है तो कह दो ज़िन्दगी क्या है

वही सजदों का सबब है, वही परस्तिश है
मेरे खुदा जो वो नहीं तो बंदगी क्या है .

* गज़ल का पहला मिसरा "मिसरा--तरह" है जिस पर ये तरही गज़ल कही है मैने।
जमाल*- beauty, loveliness; एहतराम*-respect;
तिशनाह*-thirsty;सुबू*- pot that contains water (jug),
तिश्नगी*-thirst, pyaas।

16 comments:

दिपाली "आब" said...

waah.. Shaandar gazal kahi hai ravi.. Too good buddy

Anonymous said...

tum ho kya yaar....matlab kya ho....hindi ke pandit, urdu ke ghalib....sab kuch likh lete ho yaar...too good buddy, kamaal ki ghazal hai awesome!

Shekhar Suman said...

सच में बड़ा ही धाँसू लिखा है...कई जगह तो सर के ऊपर से निकल गया..हा हा हा... अब क्या करें उर्दू अच्छी नहीं है मेरी...
मान गए....

तनिक इस गरीब की कुटिया में भी पधारें...
वो लम्हें जो याद न हों........

monali said...

A true demonstration of selfless love.. awesome lines :)

Shekhar Suman said...

लगता है आप हमारे ब्लॉग पर घूम आये...धन्यवाद ...

संजय भास्‍कर said...

क्या खूब लिखा है…………गज़ब्।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत गज़ल ...कुछ शब्दों के अर्थ दे देते तो ज़रा आसानी हो जाती समझने में ..

vandana gupta said...

उसके पहलु में पड़ा जिस्म मेरा बे-जुम्बिश
गोया ये मौत है तो कह दो ज़िन्दगी क्या है

बेहद गहन , उम्दा गज़ल्।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कमाल की है गज़ल यार अब कहें भी क्या
ये बेहतरीन से बेहतर भी बेहतरी क्या है!

रवि शंकर जी आज मेरी इस तुकबंदी से ही काम चलाइए!!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कुछ कुछ बड़े कैड़े शब्द है जी, समझ नहीं ही आए..

संजय @ मो सम कौन... said...

"वही सजदों का सबब है, वही परस्तिश है
मेरे खुदा जो वो नहीं तो बंदगी क्या है ."

रवि, बहुत खूबसूरत गज़ल कही है आपने। पारखी-माहिर नहीं हैं अपन बॉस, लेकिन कुछ चीजें एकदम से अच्छी लग जाती हैं, आपकी रचनायें उनमें से एक हैं।

शुभकामनायें मित्र।

Avinash Chandra said...

अब तक लिखा नहीं, क्यूंकि मेरी काबिलियत नहीं कुछ लिखने की...पर इतना कहना तो बनता है भाई.
छा गए सरकार आप!

mridula pradhan said...

bahut achcha likhe hain.

संजय भास्‍कर said...

नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

urdu itni achhci nahi hai iske bawjud bhi behad achchi lagi. dhanywad ki aapne kuch shabdo ke meaning de diye the.

Ravi Shankar said...

आप सबको अशेष धन्यवाद। अत्यधिक व्यस्तता के कारण आप सबको बहुत विलम्ब से धन्यवाद दे रहा हूँ ,क्षमाप्रार्थी हूँ।

अब शायद नियमित रह पाऊँ कुछ दिन।

सादर।

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