खबर नहीं की खुदी क्या है बेखुदी क्या है *...
सख्त हैरत में हूँ अब और आशिकी क्या है
चमक रही जो जेहन में वो रौशनी क्या है
ये मुझ में आज फिर मुझसे अजनबी क्या है
तमाम लफ़्ज़ों में है दाद शोखियों के तेरे
तेरा जमाल है बस और शायरी क्या है
लज्ज़त-ए-प्यास का तू एहतराम कर तिशनाह
सुबू के सामने टूटे वो तिश्नगी क्या है
उसके पहलु में पड़ा जिस्म मेरा बे-जुम्बिश
गोया ये मौत है तो कह दो ज़िन्दगी क्या है
वही सजदों का सबब है, वही परस्तिश है
मेरे खुदा जो वो नहीं तो बंदगी क्या है .
* गज़ल का पहला मिसरा "मिसरा-ए-तरह" है जिस पर ये तरही गज़ल कही है मैने।
जमाल*- beauty, loveliness; एहतराम*-respect;
तिशनाह*-thirsty;सुबू*- pot that contains water (jug),
तिश्नगी*-thirst, pyaas।
16 comments:
waah.. Shaandar gazal kahi hai ravi.. Too good buddy
tum ho kya yaar....matlab kya ho....hindi ke pandit, urdu ke ghalib....sab kuch likh lete ho yaar...too good buddy, kamaal ki ghazal hai awesome!
सच में बड़ा ही धाँसू लिखा है...कई जगह तो सर के ऊपर से निकल गया..हा हा हा... अब क्या करें उर्दू अच्छी नहीं है मेरी...
मान गए....
तनिक इस गरीब की कुटिया में भी पधारें...
वो लम्हें जो याद न हों........
A true demonstration of selfless love.. awesome lines :)
लगता है आप हमारे ब्लॉग पर घूम आये...धन्यवाद ...
क्या खूब लिखा है…………गज़ब्।
खूबसूरत गज़ल ...कुछ शब्दों के अर्थ दे देते तो ज़रा आसानी हो जाती समझने में ..
उसके पहलु में पड़ा जिस्म मेरा बे-जुम्बिश
गोया ये मौत है तो कह दो ज़िन्दगी क्या है
बेहद गहन , उम्दा गज़ल्।
कमाल की है गज़ल यार अब कहें भी क्या
ये बेहतरीन से बेहतर भी बेहतरी क्या है!
रवि शंकर जी आज मेरी इस तुकबंदी से ही काम चलाइए!!
कुछ कुछ बड़े कैड़े शब्द है जी, समझ नहीं ही आए..
"वही सजदों का सबब है, वही परस्तिश है
मेरे खुदा जो वो नहीं तो बंदगी क्या है ."
रवि, बहुत खूबसूरत गज़ल कही है आपने। पारखी-माहिर नहीं हैं अपन बॉस, लेकिन कुछ चीजें एकदम से अच्छी लग जाती हैं, आपकी रचनायें उनमें से एक हैं।
शुभकामनायें मित्र।
अब तक लिखा नहीं, क्यूंकि मेरी काबिलियत नहीं कुछ लिखने की...पर इतना कहना तो बनता है भाई.
छा गए सरकार आप!
bahut achcha likhe hain.
नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
urdu itni achhci nahi hai iske bawjud bhi behad achchi lagi. dhanywad ki aapne kuch shabdo ke meaning de diye the.
आप सबको अशेष धन्यवाद। अत्यधिक व्यस्तता के कारण आप सबको बहुत विलम्ब से धन्यवाद दे रहा हूँ ,क्षमाप्रार्थी हूँ।
अब शायद नियमित रह पाऊँ कुछ दिन।
सादर।
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