दर्द की जाने शख्सियत क्या है !
किसी के दिल में मोम जैसा है
छलक पड़ता है रूह जलते ही
कभी जलता है उम्र भर को ये
कोई परवाना संग मिलते ही
कभी रिसता है पानियों कि तरह
जेहन की दीवारों को नमी देकर
कभी ताबीर ये मुहब्बत की
किसी की चाह को जमीं दे कर
कभी पत्थर सा सख्त होता है
दिल की धड़कन को सर्द करता हुआ
कभी मखमल के उजले फाहे सा
किसी नफ़रत के जख्म भरता हुआ
किसी की याद के धुएँ जैसा
कभी अम्बर में घुलता जाता है
कभी पारे सा मनचला हो कर
किसी भी सिम्त बढ़ता जाता है ...
दर्द की जाने शख्सियत क्या है !
11 comments:
किसी की याद के धुएँ जैसा
कभी अम्बर में घुलता जाता है
कभी पारे सा मनचला हो कर
किसी भी सिम्त बढ़ता जाता है .
बहुत सुन्दर तरीके से दर्द की व्याख्या की है ,आपने
kya ajab drd hai jnaab kaa ..akhtar khan akela kota rajsthan
Dard ki shakhsiyat bayaan karna mushkil h magar sach ye bhi h k kai baar dard hi jeene ki wejeh h .. sundar kavita :)
दर्द हो भी अपने खुबसूरत से प्रस्तुत किया...
सबके अपने अपने किस्से हैं !
सुन्दर अभिव्यक्ति !
खूबसूरत बिम्बों के प्रयोग ने कविता की संप्रेषणीयता को मोहक बना दिया है।
...बेहतरीन कविता।
उम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति.
कमाल की प्रस्तुति.वाह वाह, क्या बात है.
भावनात्मक प्रस्तुति.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
"कभी पत्थर सा सख्त होता है
दिल की धड़कन को सर्द करता हुआ
कभी मखमल के उजले फाहे सा
किसी नफ़रत के जख्म भरता हुआ"
दर्द की जाने शख्सियत क्या है !
खूबसूरत ....!!
***punam***
bas yun..hi...
मखमल के उजले फाहे सा...खूबसूरत दर्द..
bahut hi badhiya...aaj pehli baar aapke blog par aana hua aur achha laga aakar :) kabhi aap bhi mere blog par aaiye samay nikal ke...
www.prachinpoems.blogspot.com
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