ए मेरे दोस्त
यूँ सीने से न लगा मुझको ...
दर्द कोई
फिर न छलक जाए
मेरे जख्मों से ...
बाँध कर जब्त कर
रखा है जिसे
कोई आंसू न ढलक आये
मेरी नज्मों से ...
ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको !
मेरी आँखों में
रौशनी नजर आई जो तुम्हे
वो मेरी सुलगी हुई
धड़कन के सिवा कुछ भी नहीं
ख़ाक हो जाए न
ये रेशमी दामन तेरा
मेरी मोहब्बत का अब
हासिल है सिला कुछ भी नहीं
ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको
मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
न जाए कहीं ...
ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको
15 comments:
आज साहिर की खुशबू आ रही है अनुज!
"मेरी महबूब कहीं और मिलाकर मुझसे!"
दर्द को शब्दों के सांचे में ढाल दिया है ।
dil ke ehsaaso ko pyar ko khubsurat shabdo me piro diya apne....
sacchhiiiiii....main bhi yahi kehne waali thi ke sahir yaad aa gaye....bohot bohot khoobsurat hai dost...toooooo good :)
आपकी पोस्ट कल(3-7-11) यहाँ भी होगी
नयी-पुरानी हलचल
उदास सी नज़्म ...खूबसूरत अभिव्यक्ति
मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
न जाए कहीं ...
बहुत बढ़िया.
nazm adhoori hai.. Aur likho..
मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
न जाए कहीं ...
बहुत खूबसूरत एहसास...
कुछ उदास ... कुछ गहरे एहसास लिए ये नज़्म दिल को छूती है ...
दिल तक पहुंच कर हर शब्द झन्क्र्त कर रहा है.
ए मेरे दोस्त
यूँ सीने से न लगा मुझको ...
दर्द कोई
फिर न छलक जाए
मेरे जख्मों से ...
बाँध कर जब्त कर
रखा है जिसे
कोई आंसू न ढलक आये
मेरी नज्मों से ...
सुभानाल्लाह ......!
दिल के आर पार हो गई .....
@ दाऊ…
:) नमन दाऊ !
@ अरूण जी…
@ सुषमा जी…
बहुत धन्यवाद आपका।
@ साँझू…
:)
@ वन्दना जी…
आपने मेरा प्रयास रेखांकित किया। आभार आपका।
@ संगीता दी…
नमन !
@ यशवंत जी…
धन्यावाद !
@ दीपी…
हाँ रे… कई बार कोशिश की पर आगे एहसास चोक हो जाते हैं …आगे बढ्ती ही नहीं नज़्म… चल फिर एक बार कोशिश करुँगा। :)
बहुत सुंदर,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खुबसुरत नज़्म.....किसकी तारीफ करूं ..?
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