Friday, July 1, 2011

यूँ सीने से न लगा मुझको....

ए मेरे दोस्त
यूँ सीने से न लगा मुझको ...

दर्द कोई
फिर न छलक जाए
मेरे जख्मों से ...
बाँध कर जब्त कर
रखा है जिसे
कोई आंसू न ढलक आये
मेरी नज्मों से ...

ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको !

मेरी आँखों में
रौशनी नजर आई जो तुम्हे
वो मेरी सुलगी हुई
धड़कन के सिवा कुछ भी नहीं
ख़ाक हो जाए न
ये रेशमी दामन तेरा
मेरी मोहब्बत का अब
हासिल है सिला कुछ भी नहीं

ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको

मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
जाए कहीं ...

ए मेरे दोस्त ......
यूँ सीने से न लगा मुझको

15 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

आज साहिर की खुशबू आ रही है अनुज!
"मेरी महबूब कहीं और मिलाकर मुझसे!"

Arun sathi said...

दर्द को शब्दों के सांचे में ढाल दिया है ।

विभूति" said...

dil ke ehsaaso ko pyar ko khubsurat shabdo me piro diya apne....

Anonymous said...

sacchhiiiiii....main bhi yahi kehne waali thi ke sahir yaad aa gaye....bohot bohot khoobsurat hai dost...toooooo good :)

vandana gupta said...

आपकी पोस्ट कल(3-7-11) यहाँ भी होगी
नयी-पुरानी हलचल

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

उदास सी नज़्म ...खूबसूरत अभिव्यक्ति

Yashwant R. B. Mathur said...

मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
न जाए कहीं ...

बहुत बढ़िया.

दिपाली "आब" said...

nazm adhoori hai.. Aur likho..

वीना श्रीवास्तव said...

मैं तो टूटा हुआ
एक तारा हूँ
उफक के दरिया में
डूबता सा कहीं
तू मुझको बाँधने की
न तमन्ना कर
मेरे संग तू भी बिखर
न जाए कहीं ...

बहुत खूबसूरत एहसास...

दिगम्बर नासवा said...

कुछ उदास ... कुछ गहरे एहसास लिए ये नज़्म दिल को छूती है ...

अनामिका की सदायें ...... said...

दिल तक पहुंच कर हर शब्द झन्क्र्त कर रहा है.

हरकीरत ' हीर' said...

ए मेरे दोस्त
यूँ सीने से न लगा मुझको ...

दर्द कोई
फिर न छलक जाए
मेरे जख्मों से ...
बाँध कर जब्त कर
रखा है जिसे
कोई आंसू न ढलक आये
मेरी नज्मों से ...

सुभानाल्लाह ......!
दिल के आर पार हो गई .....

Ravi Shankar said...

@ दाऊ…

:) नमन दाऊ !

@ अरूण जी…

@ सुषमा जी…

बहुत धन्यवाद आपका।

@ साँझू…
:)

@ वन्दना जी…

आपने मेरा प्रयास रेखांकित किया। आभार आपका।

@ संगीता दी…

नमन !

@ यशवंत जी…

धन्यावाद !

@ दीपी…

हाँ रे… कई बार कोशिश की पर आगे एहसास चोक हो जाते हैं …आगे बढ्ती ही नहीं नज़्म… चल फिर एक बार कोशिश करुँगा। :)

Vivek Jain said...

बहुत सुंदर,
आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Amrita Tanmay said...

खुबसुरत नज़्म.....किसकी तारीफ करूं ..?

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...