Thursday, November 25, 2010

तुम जीवन उनमें भर देना ..

मैं साँसें वारूँ तुम पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

जीवन उपवन मृतप्राय अभी
हुए व्यर्थ मेरे उपाय सभी
मैं लाख जतन कर के हारा
मन-पुष्प नहीं खिल पाए कभी

मैं झुलसा मन सौपूं तुमको
तुम सिंचन उसका कर देना
मैं साँसें वारूँ
तुम पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

मानस पे जम गई धूल प्रिये
अब झूठ दिखे स्थूल प्रिये
अब लोभ मोह लालच मद में
भूला जीवन का मूल प्रिये

मैं अपने भाव तुम्हे दे दूं
तुम पावन उनको कर देना..
मैं साँसें वारूँ
तुम पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

है द्वेष भरा यह जीवन अब
बस आशाओं का क्रंदन अब
सुलग सुलग स्वाहा होता
बेमतलब तन का चन्दन अब

इस जग की प्रेम समिधा में
तुम अर्पण इसको कर देना
मैं साँसें वारूँ
तुम पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

17 comments:

POOJA... said...

मेरे पास शब्द नहीं हैं इतनी सुन्दर रचना को कमेन्ट देने के लिए...
बहुत खूब...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

रवि शंकर जी!
प्रेम का अर्थ है समर्पण.. और आपका यह गीत इस पवित्र भावना की अभिव्यक्ति है.. बहुत सुंदर!

palash said...

बह्त खूबसूरती से प्रेम निवेदन किया गया । सच्चाई हर पंक्ति में झलकती है

Avinash Chandra said...

मधु गुंजन है यह भाई...लौट आए हैं आप :)

संजय भास्‍कर said...

मैं साँसें वारूँ तुझ पर
तुम जीवन उनमें भर देना .
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

दिपाली "आब" said...

m speechles.. N its flawless.. Brilliant

संजय @ मो सम कौन... said...

रवि,
बहुत सुंदर।
अविनाश की बात को एंडोर्स कर रहा हूं, लौट रहे हो खुद में।
बधाई।

स्वप्न मञ्जूषा said...

प्रेमी हृदय की प्रेममयी अभिव्यक्ति...
अतिसुन्दर...

Anonymous said...

मैं साँसें वारूँ तुझ पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

bohot bohot khoobsurat panktiyaan...great thought buddy...amazing

मैं झुलसा मन सौपूं तुमको
तुम सिंचन उसका कर देना

wahhh.....!!! ye lines to bas kamaaaaal lagi, mujhe to bohot bohot acchi lagi...wah...kitni pyaari hain, at the same time kitni innocent aur kitni karun bhi, lovely...

सुलग सुलग स्वाहा होता
बेमतलब तन का चन्दन अब

bohot khoob, bohot hi khoob....too good


poori kavita bohot sundar hai, bohot badhiya :)

ek choti si baat, agar bura na maano to gustaakhi ke liye muafi chaahungi...

मैं साँसें वारूँ तुझ पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

yahan 'tujh' aur tum ka ek saath istemaal zara khatakta hai flow mein, agar tumhaare thought process ko disturb na karte hon to make it...

मैं साँसें वारूँ तुम पर
तुम जीवन उनमें भर देना ..

ये सिर्फ यूँही कहा...नज़्म बोहोत उम्दा है और ये बात तुम जानते हो...take care buddy :)

शारदा अरोरा said...

आह सभी के मनसे निकले , कोई कोई गा लेता है ...बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण

monali said...

A poem full of kind of love which does nt hesitate to sacrifice.. loved it :)

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

क्या खूब लिखा है आपने ... वाह !

vandana gupta said...

वाह वाह! लयबद्ध कविता पढने मे मज़ा आ गया ……………मन के तार झंकृत हो गये……………बेहद खूबसूरत भावो का समन्वय बहुत दिनो बाद पढने को मिला………………आभार्।

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ........बेहतरीन ।

Dr Xitija Singh said...

बहुत खूब रवि जी ... एक और उम्दा प्रस्तुति ...

Ravi Shankar said...

@ Pooja ji...

@ Salili sir...

@ Aparna ji..

@ Avi bro..

@ Bhaskar ji..

@ Deepi...

@ Sanjay sir..

@ Ada ji..

@ Saanjhu buddy...

Oye ek baat dasso yara.. inni formality kyon hai.. seedhe seedhe nahi kah sakti ki "idiot yahan gadbad hai theek kar lo".. Hadd hai bas!

wahan actualy "tum" hi hona tha typo error ho gaya aur waise hi post bhi ho gaya tha.

thanx buddy !

@ Sharda ji..

@ Monali ji..

@ Indraneel ji...

@ Vandana ji..

@ Sada ji...

and @ Kshitija ji...

Aap sab sudhi janon ka haardil aabhaar evam dhanyavaad. Apna saath aur protsaahan yun hi banaye rakhiyega.

Saadar!

Anonymous said...

oye buddy buddy oye.....ye formality tere liye ni hai...samjha...zada bhaav na kha :P
ye formality tere fans aur readers ke liye hai jo mujhe khadoos critical psycho na samjhein ;)

vaise felt it could only be a typo error....chal ja, maaf kiya ;)

hi hi hi....

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