एक गीत लिखने की कोशिश की है... आप सब के समक्ष रख रहा हूँ ... स्नेह और सुझाव दीजियेगा :
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पवन री !
संदेसा ले जा ........!!
मोरे पी तो..... गए रे बिदेसवा
पाती लिख नहीं पाते ...
तू समझे गति ...मुझ विरहन की
ले चल मुझको उड़ा के
मोहे पीयू का दरस दे जा
पवन री ...... !
संदेसा ले जा ........!!
सूनी गलियन पर...बाट मैं जोहूँ ...
जग-जग दृग पथराये ...
मन मृग बन कर भटके बन-बन
कस्तूरी ना पाए ...
मोहे पी की लगन दे जा ..
पवन री ...... !
संदेसा ले जा ........!!
हिय सुलगे सुन... लाकड़ी जैसे
तू जो हिलोरे खाए ...
मन वीणा की तान बिलखती
प्रियतम तक ना जाए ...
मोहे पी से मिलन दे जा
पवन री ...... !
संदेसा ले जा ........!!
10 comments:
पी मिलेंगे जरूर मिलेंगे.
bahut hi khubsurat geet hai.....
kuch jagahon par typing mistakes hain ...sudhaar lein..
पहचान कौन चित्र पहेली :-६ .
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
मोहे पी से मिलन दे जा
पवन री ...... !
संदेसा ले जा ........!!
bahut khoob ravi ji ...
विरह का, एक पुरुष हृदय द्वारा नारी हृदय की भावना का वर्णन, सचमुच नया प्रयोग है!!
oye.....main Mr Saanjh hoon....puraani baat ho gayi....tu Miss ravi ban raha hai ab...hihi.... :D
pyaara geet hai buddy, very sweet. aisa laga jaise main koi puraani black and white movie dekh rahi hoon....lovely
bas kuch words ko aur desi style mein daal de....jaise videshva ki jagah bidesva, darshan ki jagah darsan, ya even better daras. van van/ban ban....etc. ya phir kuch nahin...jaise likhi hai bohot sundar hai, main to avain bak bak kar rahi hoon.... :P
मन मृग बन कर भटके वन-वन
कस्तूरी ना पाए ...
very very sweet....
बहुत अच्छा लगा आपका ये गीत.कुछ कुछ नयेपन का एहसास देता हुआ.
सादर
सुन्दर गीत!
@ Indian citizen ji......
bahut shukriya aapka .
@ Shekhar ji...
kuchh shabd to desaj lahaza dene ke liye prayas kar ke galat vartani ke saath likhe gaye hain... yadi kuchh vishesh galtii hui to to kripay jaroor rekhankit karen. dhanyavaad
@ vandana ji...
aabhari hoon aapka.
@ Kshitija ji..
Many thanks...
@ Salil sir ..
Aapko yah prayog pasand aaya.kalam ki khushkismati hai.
@ Buddy...
Hmmm.. to aiven hi bak bak karti raha kar...achchha lagta hai :).thanks nahi kahunga jaa... :P
@ Yashvant ji...
@ Anupamaa ji...
Aap sabka kalam aabhaar karti hai. apna sneh kalam ko dete rahiyega !
आपकी रचनाएं देखा, गजल और हिंदी कविताओं की तुलना में यह देसज अधिक आकर्षक लगी. मो सम कौन से ... यहां तक आया, पटना का नाम देखा तो अपनी पोस्ट 'फिल्मी पटना' के जिक्र का लोभ संवरण नहीं हुआ.
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