Thursday, November 11, 2010

यक्ष - प्रश्न काल के-2




तमाम साथियों/सुधी जनों की सलाह के बावजूद पिछ्ली दो रचनाओं की ही अगली कड़ी रख रहा हूँ आपके समक्ष, क्योंकि अगर कोइ अन्य कविता डाली तो श्रृंखला अधूरी रह जायेगी…… सो गुजारिश है कि कम से कम एक मर्तबा और झेलिए इस खुराफ़ात को…… और इस पर अपने विचार भी रखिये।

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हे कोशलेश !

कहे जाते हो तुम मापदंड
उत्तम-अनुकरणीय आर्य
आचरण के ...
किन्तु कुछ शंकाएँ हैं
अंतर में ...
उत्तर दे पाओगे ??

क्या मर्यादित था
वध बाली का ...
जिस पर किया था घात
परोक्ष तुमने ...
मित्र की सहायता की
ओट में ??

क्या मानते हो
अनुकरण योग्य
परित्याग मैथिली का ...
एक अनर्गल प्रलाप पर
जिसकी सत्यता के साक्षी
स्वयं तुम थे ??

कभी खड़े हो पाओगे
समक्ष उर्मिला के ... ?
जिसने त्याग दिया
अपना भाग्य
तुम्हारा भाग्य
सँवारने को ...

यदि निभानी थी मित्रता
करते स्वस्थ युद्ध
मित्र के अधिकार हेतु ...

निर्भीक घोषित करते साक्ष्य
जानकी की पवित्रता के
तब प्रकट होता
पुरुषार्थ तुम्हारा ...

सर्वथा रहते कृतज्ञ
अनुज के ...
जिसे त्याग का प्रतिदान
दिया था तुमने ...

क्षमा करना नृपश्रेष्ठ !
किन्तु कदाचित लेना पड़े
नव-जन्म तुमको
मर्यादा-पुरुषोत्तम होने को !

11 comments:

vandana gupta said...

क्या बात है ……………इतना रोष? बडे सख्त प्रश्न कर डाले……………।

monali said...

I agree wid u... waise bhi ab hum Indian ko right to information h.. to bhagwaan ko bhi jawab dena chahiye :)

संजय @ मो सम कौन... said...

रवि,
प्रश्न करना कहीं से खुराफ़ात नहीं। प्रश्न पूछने का मतलब ही यही है कि चिंतन, मनन किया गया है। एक दो प्रश्न मैं भी पूछ लेता हूँ:)
राम के लिये बाली से मित्रता ज्यादा लाभदायक रहती या सुग्रीव से?
मैथिली का परित्याग करके राम ने क्या दूसरा विवाह किया(उस समय बहु विवाह प्रचलन में था, उनके खुद के पिता ने तीन विवाह किये थे)?
इन प्रश्नों पर राम को एक पौराणिक पात्र भर ही मानकर भी जवाब देकर देखना, दोनों ही स्थिति में राम खुद भी sufferer रहे।
किसी भी घटना को देखने में देश, काल व व्यक्ति, इन तीन डाईमेंशन्स का इस्तेमाल करने से चीजें काफ़ी हद तक स्पष्ट हो जाती हैं, ऐसा मैंने कहीं पढ़ा है और सामर्थ्यानुसार आजमाया भी है।
आज का युग इंडिविज्युल्स का युग है, लेकिन उस युग में परिवार के हित के लिये खुद का हित, गांव\देश के हित के लिये परिवार का हित त्याग करने की परंपरा थी, गरज ये है कि बड़ी यूनिट के लाभ के लिये छोटी यूनिट का बलिदान सही माना जाता था। इस परिपेक्ष्य में देखें तो शायद कुछ बातें हमें संगत लगने लगें।
पिछली पोस्ट और उस पर कमेंट्स में मजा आया, किसी का यशोगान सिर्फ़ इसलिये कि वो अंतत: विजेता बना नहीं होना चाहिये, सहमत। उसी तरह, सिर्फ़ विरोध करने के लिये विरोध किया जाये, ऐसा भी नहीं जमता। प्रश्नों को उठने देना, दबाना मत - आज मैं आया, कल को सही में जिनकी इस क्षेत्र में पठ है वो भी आयेंगे। संवाद से ही समझ विकसित होती है। लेकिन दोस्त, पब्लिक डिमांड तुमसे रूमानियत भरी रचनाओं की है, उसका भी ध्यान रखना।
वैसे भाषण देने में मजा बहुत आता है, खासकर जब सामने कोई प्रतिभावान हो:) हा हा हा।

Avinash Chandra said...

रवि भाई! अनुमति दें तो इस पर असहमत होना चाहता हूँ.
यद्यपि इतना ज्ञान नहीं है, किन्तु राम को सही मानती है आत्मा..
आज्ञा होगी तो कुछ कहूँगा..

Avinash Chandra said...

कविता बहुत अच्छी लगी और आपके प्रश्न भी...

Dr Xitija Singh said...

waah bahut khoob ... prashn achhe hain ...thora facts ki gehrai mein utreinge to jawaab bhi in prashnon ke aaspaas mandrate mil jaeinge aapko...
kahin aur dhoodhne ki zaroorat nahi padegi ... :).. keep writing .. :)

Anonymous said...

parso maine kaha tha, ke main intelligent comments ni deti....

kal maine koshish ki...par net atak gaya...maine inna lambaa comment type kiya, kambakht poora delete ho gya

ab main ni dobaara type kanne baith'ti jaa...!!

;)
;)

khi khi :P

achha chal jaa, inna bata deti hoon, kavita acchi lagi...kal bhi lagi thi, aaj bhi :)

Ravi Shankar said...

आप सबों को बहुत धन्यवाद । यद्यपि काफ़ी विलम्ब से से मुखर हुआ हुआ हूँ किन्तु परिस्थितिवश बाध्य था… मेरे नाना जी का देहांत हो गया था। कल ही लौटा हूँ…… शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत थका और टूटा हुआ… इसलिये आप सब का सामूहिक रूप से धन्यवाद कर रहा हूँ।

विशेष टिप्पणियों का उत्तर देने की मानसिक स्थिति में अभी नहीं हूँ सो क्षमा-प्रार्थी हूँ।

सादर।

संजय @ मो सम कौन... said...

रवि,
सिर्फ़ आराम करो अभी। धैर्य बनाये रखना सबसे जरूरी है इस समय।
nothing to feel sorry & all that, just relax.
आपके नानाजी को हमारी श्रद्धांजली।

Avinash Chandra said...

रवि भाई,
अपना ध्यान रखिये....
उस दिन आपके कहने के बाद लिखा था...कमेन्ट सेव ही नहीं हुआ :(
उसके बाद से बहुत ज्यादा व्यस्त था.
आपका आना सुखद है.

Anonymous said...

good to hav u bac buddy...please take care of urself....

god bless...

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