Friday, January 2, 2009

Mera saath





















संग उस मोड़ तक हम चलेंगे जहाँ,
हम सफ़र कोई दूजा मिलेगा नहीं...
चाहनेवाले तुमको मिलेंगे बहुत,
पूजने वाला मुझसा मिलेगा नहीं...

फूल ही यूँ तो होते सगुण प्रेम का,
कांटो का ही सही तोहफा तो मिले...
कुछ उजाला तो हो प्रेम की राह में,
दीप के बदले चाहे मेरा दिल ही जले...

हैं पसंद मुझको कांटे कहीं फूल से...
खार फूलों सा मुरझा गिरेगा नहीं....
संग उस मोड़ तक हम चलेंगे जहाँ...
हमसफ़र कोई दूजा मिलेगा नहीं.....................

तुम ना चाहो हमें इसका कुछ गम नहीं,
प्रेम साधन नहीं, साधना हैं मेरी...
मन से मिलना ही मन का, प्रिये, प्रेम हैं,
दूर हो कर भी तुम प्रेरणा हो मेरी...

चाहता ही रहूँगा तुम्हे मैं सदा,
कोई प्रतिदान चाहे मिले या नहीं...
संग उस मोड़ तक हम चलेंगे जहाँ ,
हमसफ़र कोई दूजा मिलेगा नहीं...

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