कहो क्या नाम दूँ तुमको !
सहर में तुम,शफक़ में तुम
परिंदों की चहक में तुम,
परस्तिस में, इबादत में
सलीके में, नफ़ासत में
लिखावट में, ज़बानी में
मेरी हर इक कहानी में....
तसव्वुर बस तुम्हारा है ।
मेरी साँसें, मेरी धड़कन
ये मेरी रूह का पैराहन
तेरे सदके मेरी जाना
ये इंतेज़ाम सारा है...
मेरी शोहरत, मेरी चाहत
मेरी रुसवाइयां तुम से
मेरी नफ़रत, मेरी तोहमत
मेरी अच्छाईयाँ तुम से
मैं क्या ईनाम दूँ तुमको !
मैं क्या इल्ज़ाम दूँ तुमको !
कहो क्या नाम दूँ तुमको ?
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तुम्हारी याद भर से नज़्म…
रक्स करती है काग़ज पर…
तसव्वुर से तुम्हारे,
शेर सब परवाज़ भरते हैं…
तेरे आगोश में सिमटूँ
तो मैं गुलज़ार हो जाऊँ…!
17 comments:
bahut khoob Ravi ji ...
"मोहब्बत" नाम दे दो :)
बहुत बहुत सुन्दर कविता.
Urdu me hath tang hone k chalte poori to nahi... magar jitni bhi samajh aayi.. roohani lagi :)
ज़र्रे- ज़र्रे में उसी का नूर है ,
झाँक खुद में वोह न तुझसे दूर है ..
इश्क है उससे तो सब से इश्क कर
इस इबादत का यही दस्तूर है ..
इस में उस में और उस में है वोही
यार मेरा हर तरफ भरपूर है ..
अनुज!! बहुत खूबसूरत बयान है.. मुझे तो कुछ और ही रंग दिखा.. लाली देखन मैं चली, मैं भी हो गयी लाल!!
कुछ रिश्तों को...लोगों को नाम में नहीं बाँधना चाहिए..वो इनसे ऊपर होते हैं ..जैसे प्यार को प्यार ही रहने दो...कोई नाम ना दो ..
सुन्दर प्रस्तुति !!
तू ही तू
होता है अनुज, होता है जब बावरा मन कह उठता है ’जिधर देखूं, उधर तू है’
बहुत सुन्दर रचना।
:)
मेरी साँसें, मेरी धड़कन
ये मेरी रूह का पैराहन
तेरे सदके मेरी जाना
ये इंतेज़ाम सारा है...waah
तुम्हारी याद भर से नज़्म…
रक्स करती है काग़ज पर…
तसव्वुर से तुम्हारे,
शेर सब परवाज़ भरते हैं…
तेरे आगोश में सिमटूँ
तो मैं गुलज़ार हो जाऊँ
वाह! उम्दा नज़्म ! खूबसूरत लफ़्ज़ों में ढली
मेरी शोहरत, मेरी चाहत
मेरी रुसवाइयां तुम से
मेरी नफ़रत, मेरी तोहमत
मेरी अच्छाईयाँ तुम से
सुन्दर प्रस्तुति ! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
वन्दना जी…
शिखा दी…
मोनाली जी…
बहुत बहुत धन्यवाद आपको !
दाऊ…
:)
नमन !
निधि जी…
धन्यवाद!
हुकुम…
बस स्नेह आपका :)
वंदना जी…
अवि प्यारे… :)
रश्मि दी…
सबको नमन !
साहिल जी…
रूप जी…
बहुत बहुत धन्यवाद आपको !
बहुत बढिया रचना ..
बधाई !!
बेहद खुबसूरत लिखा है |
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