Sunday, May 15, 2011

मैं कैसे लूँ स्वीकार...

प्रिय !मैं कैसे लूँ स्वीकार,
तुम्हारे स्नेह का उपहार ?
मेरा पथ है अश्रु विगलित,
शूल - कंकर, कष्ट-मिश्रित

वेदना ही पूंजी अर्जित
मेरा शोक का व्यापार...
प्रिय !मैं कैसे लूँ स्वीकार,
तुम्हारे स्नेह का उपहार...?

प्रीत का ना भान मुझको
स्नेह का ना ज्ञान मुझको
सृष्टि में हर पग मिले हैं
पीड़ा के प्रतिमान मुझको

कैसे तेरे रंग रंगूँ…
मेरा स्याह है संसार ।
प्रिय ! मैं कैसे लूँ स्वीकार,
तुम्हारे स्नेह का उपहार.?

विधि-रंक सा हूँ जन्मना मैं
मुस्कान की हूँ वर्जना मैं
एक फीका रंग मेरा…
सौ रंग तेरी अल्पना में

मैं कदाचित् दे ना पाऊँ
तेरे स्वप्न को आधार...
प्रिय ! मैं कैसे लूँ स्वीकार,
तुम्हारे स्नेह का उपहार ?

14 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

रवि शंकर जी!
एक बार स्वीकार करके तो देखिये.. शायद जो कुछ अभी है या जैसा दिखता है वो समाप्त हो जाए!!

Ravi Shankar said...

Naman Daau!

Aap 'ji ' laga kar mera ji bhari kar dete hain :-(

विभूति" said...

bhut hi sunder shabd rachna...

दिपाली "आब" said...

brilliant.. pr yaara tujhe hua kya hai?

संजय @ मो सम कौन... said...

अनुज,
इसे निराशवाणी नहीं कहूँगा बल्कि एक ईमानदार और विनम्र हृदय का अग्रिम स्पष्टीकरण मानने को मन करता है। लेकिन कदरदान लोग हैं, ये आशा भी धूमिल नहीं होनी चाहिये।
प्रेम भी प्रतिकार मांगता है, दो।

रश्मि प्रभा... said...

प्रीत का ना भान मुझको
स्नेह का ना ज्ञान मुझको
सृष्टि में हर पग मिले हैं
पीड़ा के प्रतिमान मुझको

कैसे तेरे रंग रंगूँ… bahut badhiyaa

Udan Tashtari said...

करके तो देखो स्वीकार.....सब निराशाओं से उबर जायेंगे.

अभिव्यक्ति और चित्रण पसंद आया.

Anonymous said...

tum log yaar text books ki yaad kyun dilaate rehte hai :(
inna accha nahin likhna chahiye.........




kaise ho yaara....lonng time....:)

vandana gupta said...

इतनी निराशा क्यों?

संजय भास्‍कर said...

रवि शंकर जी
नमस्कार !
.....दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

Amrita Tanmay said...

अल्पना में एक रंग और मिला दिया ..आपकी कसी हुई,सशक्त लेखनी का ..बहुत प्यारी रचना है ..हाँ ! पाठ्य-पुस्तक की तरह ..

Ravi Shankar said...

@ Sushma ji...

Bahut dhanyavaad aapka !

@ Deepi...

kuchh nahi hua hai re.... tu pareshan na ho !

keep smiling ! :)

@ Hukum...

Pratikar ke liye aadhaar bhi to ho na, hukum ! ;) he he he... !

Ravi Shankar said...

@ rashmi di...

apka aapna utsaah deta hai ! naman !

@ Sameer ji...

Ashesh Dhanyavaad !

@ Yaara..

Achchha hoon re... tu suna ! Aur text book mein aisi waali rhyming bachpan waali books mein hoti thin na... to bachpan ko yaad karta hoon :)

keep smiling :)

Ravi Shankar said...

@ Vandana ji...

Nirasha nahi.... ek saral sweekarokti hai kavita ke nayak ki !

shukriya !

@ Bhaskar ji...

bahut dhanyavaad bandhu !

@ Amrita ji...

bahut bahut shukriya aapka !

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