
मेरे लम्हों को उम्र बख्शी है ..
तुम्हारी याद तो खुदा सी है ..
तुम्हारा लम्स हैं गुलों पे अभी ,
इनमे खुशबू जो ये बला सी है ..
राज कुछ हैं तेरे तबस्सुम में ,
इसके परदे में एक उदासी है..
सांस की लौ धुआं होने को है ...
जख्म ताजा हैं , जिस्म बासी है
अब सिमटने ही को हैं उम्र-ओ-सफ़र ...
बस कि दुश्वारी इक जरा सी है ...
तेरी सूरत हैं मेरा आब -ए -जमजम ...
आ , कि सदियों से रूह प्यासी है ...
4 comments:
मेरे लम्हों को उम्र बख्शी हैं ..
तुम्हारी याद तो खुदा सी हैं ..
तुम्हारा लम्स हैं गुलों पे अभी ,
इनमे खुशबू जो ये बला सी हैं ..
राज कुछ हैं तेरे तबस्सुम में ,
इसके परदे में एक उदासी हैं ..
सांस की लौ धुआं होने को हैं ...
जख्म ताजा हैं , जिस्म बासी हैं
Mind blowing fren...kya baat hai kya baat hai...jz awesome!!
--Gaurav
hi there old buddy... ;)
ghazal to mast hai, lovely. pehla sher...killer!
shurkiya gaurav bhai !
oye buddy ! Tumko dekh ke jo mahsoos kiya vo bata nahi sakta.... !
Keep smiling n stay blessed !
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