कर गई आज दिल-ओ-जाँ को मेरे तर बारिश ,
हुई थी ख्वाब की तेरे जो रात भर बारिश ..
वो रात भर मेरे कानों में घोलती मिसरी
ले के आई थी मुझ तक तेरी खबर बारिश ...
यूँ ही एक दुसरे में घुलते रहे हम दोनों ...
फकत बूँदें थीं वो, या तेरी नजर , बारिश ...
नजर में घुल के मेरी रूह तक उतर जाना
सीख के आई है तुझसे ही ये हुनर बारिश ...
दिल की डाली को उम्र भर ये हरा रखेगी ...
जो तेरे दीद की हुई है, मुक्तसर बारिश ...
*शफक का वक़्त है, रवि के साथ है पूनम*
मोहब्बत बरस रही है, तू ठहर बारिश !
*शफ़क -- गोधुलि बेला की लालिमा… जब सूरज और चाँद दोनों ही दिख जाते हैं !
13 comments:
आपकी गज़ल पर बस एक :)
वैसे बारिश पर एक पुराना शेर याद आ गया
सावन की पहली बूँद ने चूमा था जब तुझे,
मर जाते पर मिला था ज़हर कम बहुत ही कम!
:) :)
दाऊ !
गज़ल तब की है जब बस कलम पकड़ना ही सीखा था स्वप्निल भाई की सगंत में…। आज कल व्यस्ततम किस्म की व्यस्तता से गुजर रहा हूँ सो ये पुरानी रचना ही टीप दी।
नमन !
शफ़क का वक्त, मोहब्बत की बारिश, मनचाहा हमसफ़र।
इस वक्त को भी कहो अनुज, यहीं ठहर जाये।
भिगो दिया है आज, शुभकामनायें।
ग़ज़ल दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।
"नजर में घुल के मेरी रूह तक उतर जाना
सीख के आई है तुझसे ही ये हुनर बारिश ..."
बस ऐसे ही बारिश होती रहे..
होती रहे...
और
कभी न रुके...!
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत नज़्म ..
...वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
नजर में घुल के मेरी रूह तक उतर जाना
सीख के आई है तुझसे ही ये हुनर बारिश ...
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति..
*शफक का वक़्त है, रवि के साथ है पूनम*
मोहब्बत बरस रही है, तू ठहर बारिश !
waah! bahut khoob!
नजर में घुल के मेरी रूह तक उतर जाना
सीख के आई है तुझसे ही ये हुनर बारिश
हर शेर उम्दा, बहुत अच्छी रचना ।
खूबसूरत गज़ल ..
bhut hi khubsurat barish aur apki gazal...
ठहरी हुई बारिश में हम भी भींग गए ..कमाल की बारिश है ..बहुत खूबसूरत नज़्म..पसंद आई
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