दर्द की जाने शख्सियत क्या है !
किसी के दिल में मोम जैसा है
छलक पड़ता है रूह जलते ही
कभी जलता है उम्र भर को ये
कोई परवाना संग मिलते ही
कभी रिसता है पानियों कि तरह
जेहन की दीवारों को नमी देकर
कभी ताबीर ये मुहब्बत की
किसी की चाह को जमीं दे कर
कभी पत्थर सा सख्त होता है
दिल की धड़कन को सर्द करता हुआ
कभी मखमल के उजले फाहे सा
किसी नफ़रत के जख्म भरता हुआ
किसी की याद के धुएँ जैसा
कभी अम्बर में घुलता जाता है
कभी पारे सा मनचला हो कर
किसी भी सिम्त बढ़ता जाता है ...
दर्द की जाने शख्सियत क्या है !