ज़िन्दगी की सड़क पर
ख्वाबों ने, रफ़्तार जो पकड़ी
न जाने हमकदम कितने
मैं पीछे छोड़ आया हूँ
किसी से उम्र का रिश्ता
किसी से सांस का बंधन
किसी से जन्मों की कसमें
मैं सबको तोड़ आया हूँ
न जाने कितने लम्हों ने
मुझे आवाज़ दे रोका ...
कि शायद वक़्त से भी अब
मैं चेहरा मोड़ आया हूँ
मगर फिर भी न जाने क्यों
ये वापिस लौटते से हैं
कि जैसे डोर उल्फत की
कोई क़दमों में डाले है ..
वहीँ दरवाजे पर टिक कर
वो जुड़वां मुन्तजिर आँखें
अज़ल से मेरे आने का
सुनहरा ख्वाब पाले हैं .
एक तेरी मोहब्बत ने बनाया हैं खुदा मुझको,मैं रोज खल्क करता हूँ नया संसार ग़ज़ल में..
Sunday, January 30, 2011
Tuesday, January 25, 2011
विदा होती बहन …
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
दिल के अन्दर अब कौन भला फिर झांकेगा ,
मेरे अश्कों में अपना हिस्सा बांटेगा ,
झुलसे अंतस को कौन भला फिर सींचेगा ,
भर गोदी में फिर कौन प्रेम से भींचेगा,
अम्मा की लाडो , बाबा की आँखों का तारा ....
घर की बगिया में करती थी मधुर -मधुर गुंजन ...
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
मेरी खुशियों में अब कौन यहाँ मुस्कायेगा ,
पीड़ा में फिर हँसना कौन सिखायेगा ,
मेरी शरारतों पर माँ -बाबा के आगे ,
बन ढाल भला फिर मुझको कौन बचायेगा ,
अब कहाँ मिलेगी मुझे .....
स्नेह की छाँव सघन ....
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
आंसू का गुब्बार नयन से फूट रहा ,
दिल ही दिल में दिल भी है कुछ टूट रहा ,
कैसी अलबेली रीत भला यह दुनिया की ,
बचपन , सखियाँ , घर का आँगन छूट रहा ,
आबाद चली करने को ......
फिर एक और चमन .......
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
[चार साल पहले सिसका था मन और मेरी निजी डायरी के गीले सफ़हों के आँचल में जा छुपी थी पीड़ा…… पर आज सलिल सर की पोस्ट ने इसे बाहर निकाला है। वहाँ उनकी पोस्ट पर बिना कुछ कहे चला आया क्योंकि मन भर आया था । जो वहाँ कहना था वो यहाँ कहा है ]
क्यों , विदा होती बहन ?
दिल के अन्दर अब कौन भला फिर झांकेगा ,
मेरे अश्कों में अपना हिस्सा बांटेगा ,
झुलसे अंतस को कौन भला फिर सींचेगा ,
भर गोदी में फिर कौन प्रेम से भींचेगा,
अम्मा की लाडो , बाबा की आँखों का तारा ....
घर की बगिया में करती थी मधुर -मधुर गुंजन ...
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
मेरी खुशियों में अब कौन यहाँ मुस्कायेगा ,
पीड़ा में फिर हँसना कौन सिखायेगा ,
मेरी शरारतों पर माँ -बाबा के आगे ,
बन ढाल भला फिर मुझको कौन बचायेगा ,
अब कहाँ मिलेगी मुझे .....
स्नेह की छाँव सघन ....
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
आंसू का गुब्बार नयन से फूट रहा ,
दिल ही दिल में दिल भी है कुछ टूट रहा ,
कैसी अलबेली रीत भला यह दुनिया की ,
बचपन , सखियाँ , घर का आँगन छूट रहा ,
आबाद चली करने को ......
फिर एक और चमन .......
विदा होती बहन ...........
क्यों , विदा होती बहन ?
[चार साल पहले सिसका था मन और मेरी निजी डायरी के गीले सफ़हों के आँचल में जा छुपी थी पीड़ा…… पर आज सलिल सर की पोस्ट ने इसे बाहर निकाला है। वहाँ उनकी पोस्ट पर बिना कुछ कहे चला आया क्योंकि मन भर आया था । जो वहाँ कहना था वो यहाँ कहा है ]
Friday, January 21, 2011
मैं शब्द बेचता हूँ साहब... !
जी हाँ ...
मैं शब्द बेचता हूँ साहब... !
चौबीसों घंटे
खुली रहती है मेरी दूकान ...
जब मन चाहे आइये ..
और अपने काम के शब्द
ले जाइए.. !
जैसी जरूरत
वैसे ही रेट हैं..
और कुछ सौदे
छूट समेत हैं..!
नेताओं का
विशेष स्वागत है !
बस अगले महीने
चुनाव की आहट है !
गुणगान, स्तुति
या फिर तालियाँ ...
या विरोधियों को देनी हों
ब्रांडेड गालियाँ...
नहीं,घबराइए नहीं !
ये काम नहीं
कानून के विरुद्ध है ..
क्योंकि यहाँ मिलावट भी
सौ फीसदी शुद्ध है ..
पत्रकारों को यहाँ
मिलती बड़ी छूट है
दस सच्ची खबरों पर फ्री
सौ सफ़ेद झूठ है ...
ब्रेकिंग
और एक्सक्लूसिव खबरें
यहाँ उपलब्ध हैं
कई वेरायटी में…
और TRP की गारंटी है
आज की सोसाइटी में ।
चलिए आप के लिए ,
सिर्फ आपके लिए
एक दाम लगा दूंगा
थोक ग्राहक से
कोई फायदा क्या लूँगा ...
बस इन्ही शब्दों के
हेर-फेर से
चलती अपनी दूकान है
और यकीन जानिये
समाज में अपना
बहुत सम्मान है ...
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
मैं शब्द बेचता हूँ साहब... !
चौबीसों घंटे
खुली रहती है मेरी दूकान ...
जब मन चाहे आइये ..
और अपने काम के शब्द
ले जाइए.. !
जैसी जरूरत
वैसे ही रेट हैं..
और कुछ सौदे
छूट समेत हैं..!
नेताओं का
विशेष स्वागत है !
बस अगले महीने
चुनाव की आहट है !
गुणगान, स्तुति
या फिर तालियाँ ...
या विरोधियों को देनी हों
ब्रांडेड गालियाँ...
नहीं,घबराइए नहीं !
ये काम नहीं
कानून के विरुद्ध है ..
क्योंकि यहाँ मिलावट भी
सौ फीसदी शुद्ध है ..
पत्रकारों को यहाँ
मिलती बड़ी छूट है
दस सच्ची खबरों पर फ्री
सौ सफ़ेद झूठ है ...
ब्रेकिंग
और एक्सक्लूसिव खबरें
यहाँ उपलब्ध हैं
कई वेरायटी में…
और TRP की गारंटी है
आज की सोसाइटी में ।
चलिए आप के लिए ,
सिर्फ आपके लिए
एक दाम लगा दूंगा
थोक ग्राहक से
कोई फायदा क्या लूँगा ...
बस इन्ही शब्दों के
हेर-फेर से
चलती अपनी दूकान है
और यकीन जानिये
समाज में अपना
बहुत सम्मान है ...
क्योंकि अब
समाज के घोड़े पर
अंगूठाछाप टट्टू सवार है
और इन्ही के पीछे करबद्ध खड़ा
ये आज का साहित्यकार है ....!!
Sunday, January 16, 2011
अपने अपने मायने …
कितनी बातों के लगे हैं, जाने कितने मायने
जितने सर हैं,उतनी सोचें,सबके उतने मायने॥
हमने तो बातें कही थीं,इक फकत मकसद के साथ
अपने मकसद से जा निकले, अपने अपने मायने ॥
अपने अपने आइनों में सब दिखें हैं पाक साफ़ ..
अपनी ही करतूत हैं, ये सारे फितने मायने ॥
हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
जितने सर हैं,उतनी सोचें,सबके उतने मायने॥
हमने तो बातें कही थीं,इक फकत मकसद के साथ
अपने मकसद से जा निकले, अपने अपने मायने ॥
अपने अपने आइनों में सब दिखें हैं पाक साफ़ ..
अपनी ही करतूत हैं, ये सारे फितने मायने ॥
हमने मसलों पर सुना था एक चुप्पी का इलाज़
पर लफ़्ज़ों के उतने न थे,चुप के जितने मायने ॥
अपने ख़्वाबों में कबूतर,और उनके ख्वाब, बाज़
देखना है रखते हैं अब किसके सपने मायने !!
Wednesday, January 12, 2011
चोर शीशे [कुछ नन्ही नज़्में]
ये शीशे चोर हैं सारे !
ये सारी नाजुकी जो इनकी
परतों ने समेटी है
तुम्हारे लम्स से ली हैं ... !
तुम्हारे सादा दिल सा
इन्होने अपना भेष डाला है ..!
वो जो तहज़ीब है इनको
"जो जैसा है दिखा देना "
तेरी नज़रों से सीखा है..
जो तुम न होते
तो आइनों का क्या होता !
===============================================
जिंदगी की व्हिस्की
----------------------
मेरी आँखों में
डालो न ,
तुम अपने ख्वाब
का टुकडा ...
कि जिंदगी
फिर छलक जाए मुझ से ...
पैमाने में रखी
व्हिस्की की तरह
जब उसमे बर्फ डलती हैं ...।
================================================
हामिला उम्मीद
------------------
जल्द ही नज़्म एक पैदा होगी
जल्द ही अफ़साना किलकेगा
दिल के आँगन में…
तेरे विसाल की उम्मीद
हामिला सी नज़र आती है।
हामिला* -- गर्भवती (Pregnant)
Subscribe to:
Posts (Atom)