Saturday, August 1, 2009

तुम्हारी याद तो खुदा सी है


मेरे लम्हों को उम्र बख्शी है ..
तुम्हारी याद तो खुदा सी है ..

तुम्हारा लम्स हैं गुलों पे अभी ,
इनमे खुशबू जो ये बला सी है ..

राज कुछ हैं तेरे तबस्सुम में ,
इसके परदे में एक उदासी है..

सांस की लौ धुआं होने को है ...
जख्म ताजा हैं , जिस्म बासी है

अब सिमटने ही को हैं उम्र--सफ़र ...
बस कि दुश्वारी इक जरा सी है ...

तेरी सूरत हैं मेरा आब - -जमजम ...
, कि सदियों से रूह प्यासी है ...
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